poetry

kailash charan

फर्क नहीं पड़ता

उन्हें कोई फर्क ना पड़ा हमें भुलाने मे।

हमारी तो याद करते करते पूरी जिंदगी निकल गई।

उनके लिए महज पर्दा जला है महल का।

हमारे लिए तो पूरी की पूरी बस्ती जल गई।