प्यार के भुखे है साहब..…
हम सिर्फ प्यार के भुखे है साहब
पैसों से हमे क्या लेना देना? ।
खाने को मिले दो वक्त की रोटी
बस्स यही तो है हमारा कहेना ।।
ऐशोआराम की जिंदगी चलो
तुम्हे ही हो तहे दिल से मुबारक ।
मेहनत करेंगे तभी तो खायेंगे
हम पे मत करना कभी भी शक ।।
पसिनों से नहाते है हम रोज
कभी न आता हमे बुखार ।
तपते है लोहे के जैसे धूप मे
क्या करोगे तुम हमे स्वीकार? ।।
किसीं के दिल से नही खेलते हम
खिलाडीयों से खेलते मैदान मे ।
दो बोल किसिके भी हो मिठे तो
हमे हमेशा रहेगा वह ध्यान मे ।।
गरीब हुये तो क्या हुआ साहब
दिल तो हमारा है बहुत बडा ।
जरूरत पडे किसिको मदत की
वहां हमारे जैसा ही कोई होगा खडा ।।
©️®️शब्दसखा-अजय रमेश चव्हाण, तरनोली
ता.दारव्हा, जि.यवतमाल
मो.८८०५८३६२०७