poetry

अजय चव्हाण

प्यार के भुखे है साहब..…

हम सिर्फ प्यार के भुखे है साहब

पैसों से हमे क्या लेना देना? ।

खाने को मिले दो वक्त की रोटी

बस्स यही तो है हमारा कहेना ।।


ऐशोआराम की जिंदगी चलो

तुम्हे ही हो तहे दिल से मुबारक ।

मेहनत करेंगे तभी तो खायेंगे

हम पे मत करना कभी भी शक ।।


पसिनों से नहाते है हम रोज

कभी न आता हमे बुखार ।

तपते है लोहे के जैसे धूप मे

क्या करोगे तुम हमे स्वीकार? ।।


किसीं के दिल से नही खेलते हम

खिलाडीयों से खेलते मैदान मे ।

दो बोल किसिके भी हो मिठे तो

हमे हमेशा रहेगा वह ध्यान मे ।।


गरीब हुये तो क्या हुआ साहब

दिल तो हमारा है बहुत बडा ।

जरूरत पडे किसिको मदत की

वहां हमारे जैसा ही कोई होगा खडा ।।



©️®️शब्दसखा-अजय रमेश चव्हाण, तरनोली

ता.दारव्हा, जि.यवतमाल

मो.८८०५८३६२०७